Wednesday, April 22, 2009

बंद कमरों में पृथ्वी की स्थिति पर चर्चा होती है और फ़िर अगले दिन सब भूल जाते है ...

२२ अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया गया । हर साल इसी दिन को मनाया जाता है । पृथ्वी को बचाने की तरकीब बनाई जाती है । लोगो में जागरूकता फैलाई जाती है । कई कार्यक्रम होते है । बंद कमरों में पृथ्वी की स्थिति पर चर्चा होती है । सेमिनारों में जानकार लोग जीवन को बचाने सम्बंधित बड़ी बड़ी बातें करते है । ये बातें २३ अप्रैल को भुला दी जाती है और फ़िर अगले २२ अप्रैल का इन्तजार शुरू हो जाता है ।
पृथ्वी दिवस भी होली , दिवाली ,दशहरा जैसे त्योहारों की तरह खुशी का दिन और खाने पिने का दिन मान कर मनाया जाने लगा है । इसके उद्देश्य को लोग केवल उसी दिन याद रखते है । बल्कि मै तो कहुगा की घडियाली आंसू बहाते है । हमें इस बात का अंदाजा नही है की कितना बड़ा संकट आने वाला है और जब पानी सर से ऊपर चला जायेगा तो चाहकर भी कुछ नही कर सकते , अतः बुद्धिमानी इसी में है की अभी चेत जाए ।
वैश्विक अतर पर पर्यावरण को बचाने की मुहीम १९७२ के स्टाकहोम सम्मलेन से होती है । इसी सम्मलेन में पृथ्वी की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई और हरेक साल ५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने पर सहमती व्यक्त की गई । १९८६ के मोंट्रियल सम्मलेन में ग्रीन हाउस गैसों पर चर्चा की गई । १९९२ में ब्राजील के रियो दे जेनेरियो में पहला पृथ्वी सम्मलेन हुआ जिसमे एजेंडा २१ द्वारा कुछ प्रयास किए गए । इसी सम्मलेन के प्रयास से १९९७ में क्योटो प्रोटोकाल को लागू करने की बात कही गई । इसमे कहा गया की २०१२ तक १९९० में ग्रीन हाउस गैसों का जो स्तर था , उस स्तर पर लाया जायेगा । अमेरिका की बेरुखी के कारण यह प्रोटोकाल कभी सफल नही हो पाया । रूस के हस्ताक्षर के बाद २००५ में जाकर लागू हुआ है । अमेरिका अभी भी इसपर हस्ताक्षर नही किया है । यह रवैया विश्व के सबसे बड़े देश का है , जो अपने आपको सबसे जिम्मेदार और लोकतांत्रिक देश बतलाता है । वह कुल ग्रीन हाउस गैस का २५%अकेले उत्पन्न करता है ।
अगर ऐसा ही रवैया बड़े देशो का रहा तो पृथ्वी को कोई नही बचा सकता । जिस औद्योगिक विकास के नाम पर पृथ्वी को लगातार लुटा जा रहा है , वे सब उस दिन बेकार हो जायेगे जब प्रकृति बदला लेना आरम्भ करेगी ।

6 comments:

Anonymous said...

kaaphi achchhi jaankari...aajkal log aise hi ho gaye hai we apane pairo par kulhaadi maarna achchhi tarah jaante hai ...

Everymatter said...

about pollution control i can say that industralist, rich peoples, corporates with the help of bribe & corruption put industrial waste, garbage and takes NOC from pollution board by paying huge amounts.

i think pollution board can control the environment in big way if it works properly

kumar Dheeraj said...

कहा जाय तो आपने पृथ्वी और पयाॆवरण को बचाने के लिए बहुत अच्छा लेख लिखा है । खासकर पृथ्वी दिवस के दिन आपका यह लेख अपने आप में मायने रखता है । लोग इसके लिए आगे आये और गंभीर चिंतन करे यही हमारी तरफ से कामना है धन्यवाद

AJEET SINGH said...

achhi rachna...

kumar Dheeraj said...

माकॆ भाई इस बार की पोस्ट पर आप अपनी प्रतिक्रिया जरूर भेजिए आभार

kumar Dheeraj said...

माकॆ भाई आपके पोस्ट को लालायित हूं । बहुत दिनो से नया कुछ देखने को नही मिला है । एक बार जरूर याद करे धन्यवाद