Thursday, January 14, 2010

महंगाई को न बनाएँ राजनैतिक मुददा

सत्ता के गलियारे में बैठे लोग कोई न कोई मुददा ढूंढते रहते है ताकि वो मीडिया और पब्लिक पर छाए रहें ! महंगाई परवान चढ़ रही है, लेकिन राजनैतिक पार्टियां एक दुसरे को इसका जिम्म्देदार ठहराने के अलावा और कुछ भी नहीं कर रही है ! आमजन इस महंगाई के कारण परेशान हैं ! चीनी इतनी महँगी हो गई है की लोग उसका स्वाद ही भूल गएं हैं! जनता सरकारी आकाओं से जानना चाहती है, की महंगाई कम होगी की नहीं ! इस बढती महंगाई का क्या कारण है ?
जिसके जवाब में कहा जाता है की हम कोई ज्योतिष नहीं ! इस तरह के गैरजिम्मेदार जवाब सुनकर जनता ऐसे सत्ताधारियों से घ्रणा करने लगती है ! क्या इसी लिए इन्हें सत्ता की बागडोर थमाई गई है ! सबको एक दूसरे के ऊपर उंगली उठाने का अनूठा मौका मिल गया है ! कोई भी महंगाई को कम करने के विषय में विचार नहीं कर रहा है ! राजनैतिक पार्टीओं के इस आपसी वाक युद्ध के बीच जनता पिस रही है ! आमजन को महंगाई से मुक्ति चाहिए, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए यही ज्ञात हो रहा है की महंगाई से जल्द मुक्ति पाना मुमकिन नहीं है ! सत्ता के सारथीयो को आपसी नोक झोंक छोड़ कर महंगाई को कम करने का प्रयत्न करना चाहिए ताकि आमजन महंगाई से मुक्ति पा सके !

Monday, January 11, 2010

प्रकृति.....

नर्म सबेरा कभी रूह में शामिल था । अब पास भी नही फटकता । कहीं दूर ... चला गया ।
आज भी सबेरा निकलता है । रूप बदल कर । जिसे हम गर्म सबेरा कहते है ।
हमारी प्रकृति में इतना बदलाव ! हजम नही होता ।