Saturday, October 22, 2011

क्रांति !


निचले पैदान पर जी रहे लोगो को जोड़ कर ही कोई आन्दोलन या क्रांति हो सकती है .उनको समय रहते ही संगठित करना होगा .भारत में रक्तरंजित क्रांति नहीं बल्कि रक्तहीन क्रांति की जरुरत है . किसी भी लोकतान्त्रिक देश में यही क्रांति का सर्वोत्तम रूप हो सकता है .देश एक नए दौर में पहुँच रहा है जहाँ पर उत्साही नौजवानों की जरुरत है ,वे ही क्रांति का नेतृत्व कर सकते है .सभी वर्गों में  समन्वय होना इसकी पहली शर्त है ,दुःख की बात है की हमारे देश में इसी चीज की सबसे बड़ी कमी है .जबतक सभी वर्ग के लोगो में समन्वयन नहीं हो जाता तबतक पूर्ण क्रांति की बात करना बेमानी होगी ...यहीं अंतिम सत्य है .
आज के ज्यादातर नौजवानों को क्रांति का अनुभव नहीं है .अनुभव लेना पड़ेगा ...केवल दिवास्वप्न देखने भर से गरीबों और मजदूरों को न्याय नहीं मिलेगा और न ही क्रांति होगी ....
तो फिर !....क्रांति का पाठ्यक्रम तैयार करो और उसे धरातल पर उतार दो .
आज हमारे साहित्यकारों ,कवियों ,पत्रकारों की कलम चुक गयी है ,पैसे की आहट सुन कर ही लिखती है ...क्रांति के  लिए तो उसमे जंग लग गया है .....तो फिर क्रांति कैसे होगी ?

Sunday, October 9, 2011

मोबाइल फोन ने निम्न वर्ग को सशक्त बनाया है...

मोबाइल फोन ने निम्न वर्ग को सशक्त बनाया है.मछुआरे, किसान और सब्जी बेचने वाले अपने उत्पाद के मोलभाव के लिए मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं...