Friday, September 30, 2011
Tuesday, September 20, 2011
ONLY NEWS: वियतनाम के साथ मिलकर भारत के तेल और गैस निकालने की...
ONLY NEWS: वियतनाम के साथ मिलकर भारत के तेल और गैस निकालने की...: दक्षिणी चीन सागर में वियतनाम के साथ मिलकर भारत के तेल और गैस निकालने की योजना पर चीन ने फिर से निशाना साधा है। चीन ने इस योजना पर कड़ा विरोध...
Sunday, September 18, 2011
ONLY NEWS: भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्सों , नेपाल , भूटान , बां...
ONLY NEWS: भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्सों , नेपाल , भूटान , बां...: भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्सों , नेपाल , भूटान , बांग्लादेश में रविवार शाम आए तेज भूकंप के झटकों ने क्या तबाही मचाई है. भारत में अब तक 27 की म...
Saturday, September 17, 2011
ONLY NEWS: वियतनाम को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने का विशेष सामरिक म...
ONLY NEWS: वियतनाम को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने का विशेष सामरिक म...: वियतनाम को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने का विशेष सामरिक महत्व है। वियतनाम इस मिसाइल के बल पर चीन की नौसेना को अपने समुद्री इलाके से दूर रख सकता है ...
Tuesday, September 6, 2011
तदर्थ समिति
विशिष्ट विषय पर विचार करने तथा प्रतिवेदन देने के लिए सभा द्वारा अथवा सभापति द्वारा अथवा संयुक्त रूप से दोनों सभाओं के पीठासीन अधिकारियों द्वारा गठित समिति और यह समिति ज्योंही अपना कार्य पूर्ण कर लेती हैं इसका कार्यकाल समाप्त माना जाता है।
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तदर्थ समिति
शून्यकाल
संसद के दोनों सदनों में प्रश्नकाल के ठीक बाद का समय आमतौर पर ‘शून्यकाल’ अथवा जीरो आवर के नाम से जाना जाने लगा है। यह एक से अधिक अर्थों में शून्यकाल होता है। 12 बजे दोपहर का समय न तो मध्याह्न पूर्व का समय होता है और न ही मध्याह्न पश्चात का समय। ‘शून्यकाल’ 12 बजे प्रारंभ होने के कारण इस नाम से जाना जाता है इसे ‘आवर’ भी कहा गया क्योंकि पहले ‘शून्यकाल’ पूरे घंटे तक चलता था। अर्थात 1 बजे दिन में सदन का दिन के भोजन के लिए अवकाश होने तक।
नियमों में ‘शून्यकाल’ का कहीं भी कोई उल्लेख नहीं है। प्रश्नकाल के समाप्त होते ही सदस्यगण ऐसे मामले उठाने के लिए खड़े हो जाते हैं जिनके बारे में वे महसूस करते हैं कि कार्यवाही करने में देरी नहीं की जा सकती। हालांकि इस प्रकार मामले उठाने के लिए नियमों में कोई उपबंध नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस प्रथा के पीछे यही विचार रहा है कि ऐसे नियम जो राष्ट्रीय महत्व के मामले या लोगों की गंभीर शिकायतों संबंधी मामले सदन में तुरंत उठाए जाने में सदस्यों के लिए बाधक होते हैं, वे निरर्थक हैं।
नियमों में ‘शून्यकाल’ का कहीं भी कोई उल्लेख नहीं है। प्रश्नकाल के समाप्त होते ही सदस्यगण ऐसे मामले उठाने के लिए खड़े हो जाते हैं जिनके बारे में वे महसूस करते हैं कि कार्यवाही करने में देरी नहीं की जा सकती। हालांकि इस प्रकार मामले उठाने के लिए नियमों में कोई उपबंध नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस प्रथा के पीछे यही विचार रहा है कि ऐसे नियम जो राष्ट्रीय महत्व के मामले या लोगों की गंभीर शिकायतों संबंधी मामले सदन में तुरंत उठाए जाने में सदस्यों के लिए बाधक होते हैं, वे निरर्थक हैं।
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शून्यकाल
लोक सभा
लोक सभा में राष्ट्र की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं जिनकी अधिकतम संख्या ५५२ है. राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसमें सदस्य संख्या २५० है. राज्या सभा के सदस्यों का निर्वाचन / मनोनयन ६ वर्ष के लिए होता है. जिसके १/३ सदस्य प्रत्येक २ वर्ष में सेवानिवृत्त होते है...
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लोक सभा
NSG
NSG is a Special Response Unit in India that has primarily been utilized for counter-terrorism activities and was created by the Cabinet Secretariat under the National Security Guard Act of the Indian Parliament in 1986. It works completely within the Central Armed Police Forces structure.
The NSG members are also known as Black Cats because of the black drill cotton coveralls and balaclavas or helmets they wear.
The NSG's specific goals include:
Neutralization of terrorist threats
Handling hijacking situations in air and on land.
Bomb disposal (search, detection and neutralisation of IEDs).
PBI (Post Blast Investigation)
Engaging and neutralizing terrorists in specific situations.
Hostage Rescue.
The NSG members are also known as Black Cats because of the black drill cotton coveralls and balaclavas or helmets they wear.
The NSG's specific goals include:
Neutralization of terrorist threats
Handling hijacking situations in air and on land.
Bomb disposal (search, detection and neutralisation of IEDs).
PBI (Post Blast Investigation)
Engaging and neutralizing terrorists in specific situations.
Hostage Rescue.
Monday, September 5, 2011
Sunday, September 4, 2011
Lokpal not a panacea..........
Dr. Singh insisted that while the Lokpal was essential and desirable, it was not a “panacea.” Asked about the debate on whether or not the Prime Minister should be under the purview of the Lokpal, he said: “I, for one, have no hesitation in bringing myself under the purview of the Lokpal,” but added that many of his Cabinet colleagues felt that such a move would create “an element of instability which can go out of hand.”
Ruling out the inclusion of the higher judiciary in the ambit of the Lokpal, Dr. Singh told the editors that his government would work for a national consensus.
clever propaganda
Manmohan Singh characterised the perception that he is a “lame- duck” Prime Minister running a “comatose” government as a “clever propaganda” of the Opposition to which some sections of the media had lent an ear. “I am not helpless. All the bad things that this government has done, I accept full responsibility.”
Interaction with editors
In his interaction with editors here on Wednesday, Prime Minister Manmohan Singh painted a generally challenging picture for India in the international arena and appealed for cohesiveness in the polity to “swim against the tide.”
Of the international issues he touched upon, Dr. Singh provided a reality check on ties with Bangladesh, termed grievances of Tamils in Sri Lanka as “legitimate” and was hopeful that India would not be denied enrichment and reprocessing (ENR) technologies though the recent plenary of the Nuclear Suppliers Group (NSG) has attempted to tighten the transfer norms.
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