Tuesday, September 6, 2011

शून्‍यकाल

संसद के दोनों सदनों में प्रश्‍नकाल के ठीक बाद का समय आमतौर पर ‘शून्‍यकाल’ अथवा जीरो आवर के नाम से जाना जाने लगा है। यह एक से अधिक अर्थों में शून्‍यकाल होता है। 12 बजे दोपहर का समय न तो मध्‍याह्न पूर्व का समय होता है और न ही मध्‍याह्न पश्‍चात का समय। ‘शून्‍यकाल’ 12 बजे प्रारंभ होने के कारण इस नाम से जाना जाता है इसे ‘आवर’ भी कहा गया क्‍योंकि पहले ‘शून्‍यकाल’ पूरे घंटे तक चलता था। अर्थात 1 बजे दिन में सदन का दिन के भोजन के लिए अवकाश होने तक।

नियमों में ‘शून्‍यकाल’ का कहीं भी कोई उल्‍लेख नहीं है। प्रश्‍नकाल के समाप्‍त होते ही सदस्‍यगण ऐसे मामले उठाने के लिए खड़े हो जाते हैं जिनके बारे में वे महसूस करते हैं कि कार्यवाही करने में देरी नहीं की जा सकती। हालांकि इस प्रकार मामले उठाने के लिए नियमों में कोई उपबंध नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस प्रथा के पीछे यही विचार रहा है कि ऐसे नियम जो राष्‍ट्रीय महत्‍व के मामले या लोगों की गंभीर शिकायतों संबंधी मामले सदन में तुरंत उठाए जाने में सदस्‍यों के लिए बाधक होते हैं, वे निरर्थक हैं।

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