आज चारों और महंगाई का शोर है.लोग बुरी तरह से त्रस्त हो गए है पर ये है कि कम होने कि बजाय बढती ही जा रही है.अब तो हालात इस कदर बिगड़ गए है कि लोगों को समझ नहीं आ रहा कि इससे कैसे निपटें?और हमारे मंत्री जी और सरकार हमें और डरा रहें है.हमें दिलासा देने कि जगह वो इसके और बढ़ने के संकेत दे रहे है.आख़िर और कितनी बढ़ेगी ये? हमने यानी लोगों ने कांग्रेस को चुना है तो जवाब भी इन्हे ही देना होगा.बी जे पी के ज़माने में एक बार प्याज ने रुलाया था तो कितना हंगामा हुआ था..पर सरकार ने कंट्रोल करके मामला संभाल लिया था.पर यहाँ तो ख़ुद सरकार कह रही है अभी दाम और बढ़ेंगे.तो फ़िर जनता क्या करे?किस्से अपना दुःख कहे?वो ख़ुद क्यूँ दुःख भोगे?आख़िर सरकार कोई कारगर कदम क्यों नहीं उठती?चाहे आयात करे या फ़िर निर्यात पर रोक लगानी पड़े,जो भी करना है करे..पर जनता को महंगाई से निजात दिलाये...
सरकार को चाहिए कि वो अपनी निति में बदलाव करे,अपनी वितरण प्रणाली सुधारे,जमाखोरी पर अंकुश लगाये और किसी भी तरह जनता को राहत दे...क्योंकि ये जिम्मेवारी है उसकी....समाधान सरकार ही को करना है.जो भी संसाधन उपलब्ध है उनका पूरा उपयोग करे.
4 comments:
प्रिय मित्र ,
आपकी पोस्ट पढी ..सामयिक और सार्थक लेख .
अब इससे इतर एक बात ये कि मैंने अभी मेल में देखा कि आपने बहुत से मित्रों को ये मेल भेजी है ..और उसमें सभी के मेल पते सार्वजनिक हो गई है ...मेरा तो वैसे भी सार्वजनिक ही है ...मगर किंचित मित्रों को शायद ये ठीक न लगे क्यों कि पहले भी ये मसला उठता रहा है ...मुझे आप बेशक भेज सकते हैं ...
आशा है मेरा आशय आप समझेंगे
wakai ek saamyik aur saarthak lekh jo aam aadami ki chinta ko ujaagar karta hai....thanks..
haan government ko ek balanced policy banaani chaahiye jisame PDS system ko rational banana bhi shaamil hai...
you have written very good and practical ideas
but government is thinking that in last 2 years of their 5 year term they will give salary & other concession from election point of view
and i think that due to weak opposition nothing is going in favour of common man
until or unless common man comes on road as happened in case of sugarcane prices in delhi
बहुत बढ़िया लिखा है आपने....सर जी, आपके विचारों से मैं सहमत हूं।....
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