आज की राजनीति ... घिन आती है । कोई विचारधारा नही , कोई मकसद नही .... सेवा न होकर गन्दा व्यवसाय हो गया है । साफ़ सुथरा व्यवसाय होता तो भी ठीक था । सेवा की बात तो करना बेमानी है । यह गन्दा व्यवसाय है जिसमे लेन देन का कोई नियम नही । केवल लूट खसोट है ... बेईमानी है । यही कारण है की घिन आती है । लोग कहते है की युवाओं को आगे आना चाहिए ...बिल्कुल आगे आना चाहिए । केवल युवा ही क्यों , हर अच्छे आदमी को आना चाहिए । अफ्शोश वहां कोई सेलेक्सन का प्रोशेष तो है नही । किसी भी बाहरी आदमी को अछूत समझा जाता है । उन्हें हटाने के लिए किसी हद तक हमारे आदरणीय नेता जा सकते है ।
न तो आदर्श है, न सोच है, न उसूल हैं और न ही कोई विचारधारा है। जो अजेंडा चुनाव से पहले जितने जोर-शोर से प्रचारित किया जाता है, चुनाव के बाद उसका कहीं नामोनिशान नहीं मिलता। चुनाव से पहले तमाम वादे किए जाते हैं। लोगों की समस्याओं को खत्म करने के इरादे जाहिर किए जाते हैं। लेकिन वोट पड़ने के बाद ये सब हवा हो जाते हैं। लोगों को मुसीबतों से मुक्ति नहीं मिलती। समस्याएं जस की तस बनी रहती हैं। वैसे तो इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात होनी चाहिए, शिक्षा की बात होनी चाहिए, ऊर्जा की बात होनी चाहिए, स्वास्थ्य की बात होनी चाहिए, गरीबी की बात होनी चाहिए.....होती भी है केवल एक महीने भाषणों में ........
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1 comment:
sach baat to yahi hai ki har koi apne swarth ke liye kaam kar raha hai.Keval rajneetigyan hi doshi nahi hamara samaj hi awawasthit hai.
Navnit Nirav
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